आड़ी वाड़ी सोना री वाड़ी (मारवाड़ी) | दशामाता की कहानी Aadi Wadi Kahani
आडी वाडी सोना री जाली रूपा रो फूल जणी में बैठी कांन कवारी काई पूजे दशामाता दियाडाबावसी री वाड़ी पूजे, शीतला बोदरी री वाड़ी पूजा, राणा देवी सूरज भगवान री वाडी पूजे, गजानंद जी पथवारी माता री सौसर देवी चाँद बावजी री वाड़ी पूजे, शनि महाराज जी महादेव जी री, धर्मराज जी री,नाग देवता री, बदआठम री, विश्रामा बावसी री, चोथमता री, हनुमानजी री, बसपतबावसी री वाड़ी पूजे, आसमाता अमावस माता री वाड़ी पूजे, लक्ष्मी माता संतोषी माता री वाड़ी पूजे, ग्यारस माता की वाड़ी पूजा, पोपा बाई री वाणी पूजे 33 करोड़ देवी देवता री वाड़ी पूजे, वाड़ी पूज्या काई वेई अन्ना वे धनवे लाभवे लक्ष्मी वे शांति रो राज वे पूता रो परिवार वे नो दोहिता वे पन्द्रह पोता वे पोता बहु रादि राब दोहिता बहू रादी खीर, खाटी लागे खीर मिठी लागे राब, खरी खराई लेके आईं।
दशामाता टूटी काई देई खोरखाम रो वेश देई पगभर बिछिया देई माथे टीको देई मोरडी वाली नाथ देई बाह भर चुडलो देई फूल भर सेज देई सांस बहु री जोड़ दे, माँ बेटियां री जोड़ दे ननद भोजाया री जोड़ दे, देवरानी जेठानी या री जोड़ देई, अमर एवाद देई भर-भर मोतिया री थाल देई।
पथवारी माता पथ री धनियानी पथ दीजिए, हाकड़ों घर दीजिए, मांकलो भूलिया ने गिलो दीजिए, विसरिया ने मेंलो देई ,सायर नीर कवर देई, हासलो घोड़ों देई, मालाघर छोरी देई कान हरिका वीर देई, राधा हरी की भौजाई देई, आंधा ने आँख देई, लुल्ला ने पाव देई, वजड़िया ने पूत देई भाई बहन री जोड़ देई।
चांद बासी टुटी काई देई, सासूजी रो हगस्यो देई, ससुराजी रो कमायो देई, सूरज भगवान टूटी काई देई, इसन देई पिसन देइ कला रा ढाकन देई, सोना रा ककन देई, रमता देई गुमता देई हँसता देई आंगन जोलिया जड़ूलिया पूत देई, दही में रादी दूध में खाई दुध में रादि घी में खाई, सांस परुसे बहु जीमे, बहु परुसे सासू जीमें, सासु खाटले बहू पाटले, सासु री जोलिया सूत बहु री जोलिया पुत्र।
गजानंद जी टूटी काई देई गिद्दी रो बेटनो देई, रोटियारो कातणों देई, दो कलस्या दुध रा देई, ऊपर बचको खाड देई, मांगया मसूर देई, तोरण रो हार् देई हार रो फूल देई , खाई रो खुणो देई, कोठी रो हबडको देई ,पापड़ दो पलको देई लापी रो लसको देई, खाटा रो हबडको को देई, दो रोटी गेहूं री देई ऊपर बचको भात देई, परुसन वाली असि देई, जाने फूल गुलाब री पौढ़न वाली असि देई जाने चन्दा रात |
वधाता माता टूटी काई देई, जोलिया जडुलिया पूत देई, अमर ऐवाददेई, धर्मराजा टुटी कई देई, बेटी जमाई री जोड़ देई रत्ना रा भाड़र देई, हिंदी हिग्लॉस रो देई, शनिमाराज टूटी काई देई, सुख शान्ति देई, विश्रामाबावजी-टुटी काई देई 16 सहेलियां रो साथ देई, पोपाबाई टूटी काई देई मोक्ष जावा रोग गेलो देई, तुलसामाता टुटी काई देई चटके चाल देई पटके मौत देई सीताजी रो चाल चलावो देई, राम लक्ष्मण री खाद देई, लुम्बड़िया बावसी टुटी क्राई देई भूरिया बेटा देई, चार दरवाजा रो धर्म देई, हर-हर करतो जीवडो आयो चार घड़ी काम री एक घड़ी राम री ।
फरतो फरतो ब्राह्मण आयो कार्रे ब्राह्मण थारे घरे काई बात करें मारा घरे दशामाता दियाडाबावसी री शीतला माता- बोधरी री राम- लक्ष्मण सीतामाता री,तुलसा जी री 33 करोड़ देवी देवता री वात का आ वात मने पन को, आ वात थाने कटु केवा, था नावानी धोवो नई चोको पोटला करो नी मैंई नावा धोवा चौका पोटला करा, आ वात कठे केवे आम्बुल्या री डाल सांवरिया री पाल के वेवते धोरे के वेवती गंगा के जल रे लोठे के अंन रे आके के चार लुगाया बेठी वटे के वे सास बहू की जोड़ के वे देवरानी-जेठानी जोड़ केवे ननंद -भोजाई री छोड़ केवे, मां -बेटी री जोड़ केवे, आडोसी- पड़ोसी री जोड़ केवे, कोई सुणवा सभलवा वालों न वेतो अंन रे आके जल रे लोठे केवे।
जल पीपल ने पदरावे अन्न कबूतर ने चगावे आ वात केइन काय करें, आगे नगरी नुतता नगरी नी वणे नी आवे तो 24 मन रा करे 24 मण रा वणे नी आवे तो 12 मण रा बारह मण वणे नी आवे तो 6 मण रा 6 मण वणे नी आवे तो,तीन मण तीन मण रा वणे न आवे तो, डोड मण रा वणे नी आवे तो छः ताकडी रा देवे, छः ताकड़ी रा वणे नी आवे तो पद्ह सेर का देवे,पदह सेर का वणे नीं आवे तो बारह महिना री वात ले बारह लाडु करे, छः सेर आटो ले तीन सेर गोल ले तीन सेर घी ले, छह महीना री वात ले तीन सेर आटो ले डोड सेर घी ले छः लाडु करे।
(1) एक रमता बालक ने देवें ,
(2) एक गाय रा ग्वाल ने देवें,
(3) एक तुलसी क्यारे मेले,
(4) एक भाई री बेन ने देवें,
(5) एक पाणी री पणियारी ने देवें,
(6) एक छाणा री छणियरि ने देवे,
(7) एक पुरानी स्त्री ने देवे,
(8) एक पीपल मेंले,
(9) एक सास री बहू ने देवे,
(10) एक ननंद भोजाई ने देवे,
(11) एक पीर मेंल,
(12) एक खाइन एकासनो करें,
खाजे करम रो बाटजे धर्म रो, आब माता आब दे खाटि मोली छाछ दे, घोड़ो हमाणो गोबर दे कडिया हमाणो वलोवड दे स्त्री ने घरवास दे, तपियो तापे कडवो चाके,थने थारे पति रो धर्म मने मारी वात रो धर्म,तप तापे तपेसरी वात करें लेकसरी, बोर -बोर बोरडी थारो भार चडावसी मारो बार उतारसी।
नर रो कमायो नारी खाय जनो जमारो सफल जाय, नारी रो कमायो नर खाय जनो जमारो ऐल जाई, चालो पोखर जातरा चाला, आगे नालू घर भरीया पाछे नालू समुंद्र भरीया, समुंद्र मंगर माछ्ला राज करे, घर मे बेटा - पोता दोयता राज करे, कोठी रो धन खुटो मती समुंद्र रो पानी ससों मती, चढ़ी -चढ़ी चरकली हरियावन में रहती थी, ठंडा पानी पीतीथी जाई सूरज भगवान ने केतिथी।
चिड़कली आरे बीजे मारे बीजे चोका चगजे कांकरा टालजे भगवान री दरगाह में हाची झुठी हाकं भरजे, हाची वे तो वेकुटा वास झुठी वे तो नरक वास, स्त्री खांडा बान्डा धोला धान रा वत किदा वे तो आई करी मानजे,सकिया भाई हाक भरजे भरजे धर्म री हाक थारो वेकुटा मे वास,आ वात कठे के दशामाता रा थडे केवे, सब रा घरे केवे राधा रानी सुख पावे हुकारी वात प्यारी लागे।
"बोलो दशामाता दियाडाबावसी की जय"